Friday, October 27, 2006

तकदीर

नसीबों पे ये लिखा था , --2

कि किसके हाँथों होगी तकदीर मुक्कामिल ,

ए खुदा ! अपनी कलम ये किसके हंथों में दे डाली .

दीवाने हजार

हम क्या कहें , हम क्या कहें ,

उनके दिल कि बात ,

कितने कमरे हैं , और कितने हैं किरायेदार

जिंदगी

जिंदगी इस तरह जियी हमने,

के वक़्त कि ना थाह ना खबर ,

हम क्या जिए , वक़्त ने जिया हमको

झूठा सच

झूठ, झूठ ना रहेगा जब आप सामने आओगे ,
ये दिल बदल जायेगा जब आप सामने आओगे

दर्द -ए -दिल

इस गम - ए -नाचीज़ को छुपाएँ कैसे,
मुस्कराहट भी हाल-ए- दिल बयाँ कर देती है

मिसाल

निगाहों से कत्ल करना कोई उनसे सीखें,
डूब जाओं दो नैनों में तेरी,
मिटना कोई हमसे सीखे

सपना

खुली आँखों का सपना हूँ मैं ,
हक़ीकत हूँ , तेरा अपना हूँ मैं ,
दूर ना करना दिल से मुझे , पल्को पे रखना मुझे ,
मेरे इंतज़ार में ,तेरा तड़पना हूँ मैं

हाल -ए -दिल |

ना गिला किया ना सिक्वा किया ...2
और ना हाल - ए -दिल बयाँ किया ...
बस नज़रों से बयाँ कर डाली सारी बात
ज़रा देखो उनकी ये बेरुखी ,
कि सबको देखा ...2
मगर हम ही को ना देखा किया

गुमा

उनको गुमा है कि उनके कायल बहुत हैं,
दर्द - ए-दिल लेने को उनके घायल बहुत हैं

लेकिन परश्तिश - ए - बुत में शाफाकात नही,
ऐसी ही शहर में हुस्न्वालो कि कमी नही