फुर्सत में देखियेगा हमारी अर्ज़ी को ,
शायद वो बदल पाये अपकी मर्ज़ी को ,
फिक्र - ए - यार में हम ग़मगीन समां बनाए बैठें हैं ,
फ़ज़ल - ए -खुदा के इंतज़ार में बैठें हैं
Monday, December 04, 2006
Friday, October 27, 2006
तकदीर
नसीबों पे ये लिखा था , --2
कि किसके हाँथों होगी तकदीर मुक्कामिल ,
ए खुदा ! अपनी कलम ये किसके हंथों में दे डाली .
सपना
खुली आँखों का सपना हूँ मैं ,
हक़ीकत हूँ , तेरा अपना हूँ मैं ,
दूर ना करना दिल से मुझे , पल्को पे रखना मुझे ,
मेरे इंतज़ार में ,तेरा तड़पना हूँ मैं
हक़ीकत हूँ , तेरा अपना हूँ मैं ,
दूर ना करना दिल से मुझे , पल्को पे रखना मुझे ,
मेरे इंतज़ार में ,तेरा तड़पना हूँ मैं
हाल -ए -दिल |
ना गिला किया ना सिक्वा किया ...2
और ना हाल - ए -दिल बयाँ किया ...
बस नज़रों से बयाँ कर डाली सारी बात
ज़रा देखो उनकी ये बेरुखी ,
कि सबको देखा ...2
मगर हम ही को ना देखा किया
और ना हाल - ए -दिल बयाँ किया ...
बस नज़रों से बयाँ कर डाली सारी बात
ज़रा देखो उनकी ये बेरुखी ,
कि सबको देखा ...2
मगर हम ही को ना देखा किया
गुमा
उनको गुमा है कि उनके कायल बहुत हैं,
दर्द - ए-दिल लेने को उनके घायल बहुत हैं
लेकिन परश्तिश - ए - बुत में शाफाकात नही,
ऐसी ही शहर में हुस्न्वालो कि कमी नही
दर्द - ए-दिल लेने को उनके घायल बहुत हैं
लेकिन परश्तिश - ए - बुत में शाफाकात नही,
ऐसी ही शहर में हुस्न्वालो कि कमी नही
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