सवालों का ये दर्द है,
या जवाबों की कशमकश,
की वो सामने खड़े हैं,
और पूछते हैं कि कहॉ हम हैं।
Sunday, May 27, 2007
हम
नाचीज़ सी हस्ती है,
नाकामिल से हैं हम,
गुनाह होगा ग़र तुम्हें हम से मिलाएँ,
अकेले ही कश्ती डुबोयेंगे,
सुकून रहेगा की तुम साथ न आये।
Subscribe to:
Posts (Atom)