वो आये हमारी महफिल में और
एक नज़र देखा भी नही
ना दुआ सलाम किया
नज़र तो मिला ज़ालिम
देख तो सही की तेरी बेरुखी ने ,
क्या हाल है किया ।
ishk ne "Azal" humain kam umar kar diya, ke ab ba-umr shayari mein guzaregi, ya maut humain bachpan mein le jayegi.
वो आये हमारी महफिल में और
एक नज़र देखा भी नही
ना दुआ सलाम किया
नज़र तो मिला ज़ालिम
देख तो सही की तेरी बेरुखी ने ,
क्या हाल है किया ।
खुदा की ये रहमत है ,
जो है वो सही है,
गलत करने पे वो जो आये तो ,
सुकून कहॉ होगा हमें,
बस एक शिक़ायत ही तो हम करतें हैं ,
ये है वो नही है,
सब करने पे वो जो आये तो,
यकीं कहॉ होगा हमें।
नाचीज़ सी हस्ती है,
नाकामिल से हैं हम,
गुनाह होगा ग़र तुम्हें हम से मिलाएँ,
अकेले ही कश्ती डुबोयेंगे,
सुकून रहेगा की तुम साथ न आये।