Wednesday, February 21, 2007

अरमां हज़ार

मुमकिन नही के मुकंमिल हो हर बात ,
नादाँ है हम ! जो सुनते रहते हैं तिफ्ल -ए -दिल के इफ़रात

Wednesday, February 14, 2007

उमर -ए -इश्क

इश्क ने "अज़ल " हमें कम उमर कर दिया ! --2
के अब मौत भी हमें रास ना आएगी